Friday, April 22, 2016

अश्क़

अश्क़ आया देने आँखों पे दस्तक ,
रूह को गया वोह रौंद
पर अश्क़ तो थम जाते है ,
सुबह की आग में जल जाते है
रौशनी से रूबरू जो हुआ,
हो गया फ़ना
खो गया हवा में ,
बन गया बारिश की बूंद

मधम सी खुश्बू  पे सवार,
आई है बारिश की बूंदे
तू अश्क़ बहाए फिर भी ,
बैठा है आँखों को मूंदें
धुल सी गयी वादी ये,
खुल सी गयी खिड़किया
अब तू भी ले पनाह ,
इन बूंदों के दरमियां

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